
कोयला खदान में फंसे चार व्यक्तियों की दुखद मौत: उनके शवों को बरामद कर लिया गया है, अब सवाल यह उठता है कि इस भयावह हादसे का जिम्मेदार कौन है? यह घटना न केवल उन परिवारों के लिए एक बड़ा आघात है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा के मुद्दों को भी उजागर करती है।
कोयला खदान में फंसे 4 व्यक्तियों की दुखद मौत

कोयला-खदान-में-फंसे-4-व्यक्तियों-की-दुखद-मौत: गुवाहाटी, असम के दीमा हसाओ जिले में उमरंगसो कोयला खदान से शनिवार को तीन शव बरामद किए गए, जहां जिले के उमरंगसो क्षेत्र में स्थित असम कोयला खदान में अचानक पानी भरने के कारण सोमवार को 9 मजदूर खदान में फस गए थे |
शनिवार की सुबह बचाव अभियान में शामिल भारतीय सेना के जवानों ने एक शव बरामद किया। राज्य सूचना विभाग ने शव की पहचान उमरंगसो निवासी 27 वर्षीय लिजान मगर के रूप में की।
बाद में, राज्य सूचना विभाग ने पुष्टि की कि असम कोयला खदान से फंसे खनिकों के दो और शव गोताखोरों ने बरामद किए। खनिकों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दुःख जताया

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार सुबह एक्स पर लिखा, “उमरंगसो में बचाव कार्य निरंतर जारी है। दुखद रूप से, आज सुबह एक और शव बरामद किया गया, जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। हम इस कठिन समय में आशा और शक्ति के साथ शोक संतप्त लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।”
सरमा ने बाद में एक्स पर पोस्ट किया, “कुछ समय पहले उमरंगसो खदान से एक और शव बरामद किया गया, जो अब तक की तीसरी बरामदगी है। पहचान की प्रक्रिया अभी चल रही है।”
21 पैरा बटालियन के गोताखोरों ने शव को बाहर निकाला

बुधवार की सुबह सेना की 21 पैरा बटालियन के गोताखोरों ने नेपाल के उदयपुर निवासी गंगा बहादुर श्रेष्ठो का शव करीब 300 फीट गहरी खदान के नीचे से बरामद किया। गोताखोरों ने बताया कि वह करीब 100 फीट पानी में डूबी ट्रॉली के नीचे फंसा हुआ था।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के सीईओ जीडी त्रिपाठी ने कहा, “बचाव प्रयासों में शामिल सेना के जवानों को दूसरे खनिक श्रमिकों का शव पानी में तैरता हुआ मिला। शुक्रवार रात भर खदान से पानी निकालने का काम जारी रहा और हमें उम्मीद है कि जल्द ही अन्य फंसे खनिकों के बारे में खबर मिल जाएगी।”

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अटकलें लगाई जा रही हैं कि खदान में फंसे खनिकों की संख्या शुरुआती अनुमान से नौ से ज़्यादा हो सकती है। शुक्रवार को सरमा ने गुवाहाटी में पत्रकारों को बताया कि अब तक सिर्फ़ नौ परिवारों या परिचितों ने अपने प्रियजनों के लापता होने की सूचना दी है।
9 लोगों के फंसे होने की जानकारी मिली
सरमा ने बताया, “अब तक हमें 9 लोगों के फंसे होने की जानकारी मिली है, जो उनके परिवारों से मिली रिपोर्ट पर आधारित है। अगर ऐसे और लोग हैं जिनके परिवार नहीं हैं या जो अकेले या बिना किसी को बताए खदान में घुसे हैं, तो हमें यह जानने का कोई तरीका नहीं है।”

शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया कि पांच पारंपरिक पंपों का उपयोग करके पानी निकालने की प्रक्रिया ने खदान में पानी के स्तर को लगभग सात मीटर (लगभग 23 फीट) कम कर दिया है। कोल इंडिया लिमिटेड का एक भारी-भरकम पंप, जो प्रति मिनट 2,250 लीटर पानी निकालने में सक्षम है, यह पंप स्थापित होने की प्रक्रिया में है और शनिवार तक चालू होने की उम्मीद है।
शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए सरमा ने स्पष्ट किया कि खदान अवैध नहीं थी, लेकिन असम माइंस एवं खनिज विभाग द्वारा वैध रूप से संचालित किए जाने के बाद इसे 12 साल पहले छोड़ दिया गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि मौजूदा संचालकों द्वारा छोड़े गए कुएं में खनन फिर से शुरू करने का निर्णय अवैध था।
असम माइंस और खनिज विभाग के कारण हुआ ये हादसा
सरमा ने कहा, यह एक बहुत पुराना खदान था जिसको बहुत पहले ही बंद कर दिया गया था, इस खदान में दुबारा जाने की जरूरत क्यों पड़ी अभी तक यह बात सामने नहीं आया है।

लेकिन कुछ लोग यह भी कह रहे की असम माइंस और खनिज विभाग के मन में लालच भर गया था जिससे काम दुबारा सुरु करने के लिए श्रमिकों को बोला गया, और वह खदान के अंदर गए। 12 साल पहले तक असम माइंस और खनिज विभाग द्वारा इस खदान का संचालन कानूनी रूप से किया जाता था, सोमवार, 6 January को पहली बार मज़दूर कुएं में उतरे
पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। शुक्रवार को पुलिस ने ‘सरदार’ (खदान मजदूरों का मुखिया) हनान लस्कर को हिरासत में लिया, जो सोमवार सुबह हुए हादसे के बाद मौके से भाग गया था। इससे पहले पुलिस ने खदान के लीजधारक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार किया था।